न्यूज़गेट प्रैस नेटवर्क
हरिद्धार कुंभ के दौरान हुई फर्जी कोरोना जांच के मामले को पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने यह कह कर दिलचस्प बना दिया है कि यह घोटाला उनके समय में नहीं हुआ। इसे उनकी मौजूदा मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत पर टिप्पणी की तरह देखा जा रहा है।
इस बीच, कुंभ मेले में कोरोना जांच घोटाले में फंसती लग रही एक फर्म के संचालक के तार भाजपा के कई मंत्रियों से जुड़े बताए जा रहे हैं। फर्म का संचालक और उसके रिश्तेदार भाजपा में काफी सक्रिय हैं और उसकी दिल्ली के नेताओं से भी अच्छी पहचान है। हरिद्वार के एक विधायक का नाम इस मामले में सबसे ज्यादा उछल रहा है। फर्म के खिलाफ केस दर्ज होने के बाद उसके संचालक की फोटो कई मंत्रियों के साथ सामने आ रही हैं।
बहरहाल, कोरोना टेस्टिंग घोटाले की जांच एसआईटी ने शुरू कर दी है। फर्म के संचालक के साथ ही लैब के संचालकों को भी नोटिस जारी कर दिया गया है। इन सभी को तमाम दस्तावेजों के साथ एसआईटी के सामने पेश होना है। स्वास्थ्य विभाग की प्रारंभिक जांच में ता लगा था कि एक निजी लैब ने टेस्ट की संख्या ज्यादा दिखाने के लिए फर्जी आधार कार्ड जमा करके टेस्ट किए। उसने ज्यादा बड़ा बिल बनाने के लिए ऐसा किया।
राज्य में बल्कि भाजपा के भीतर भी यह मामला राजनैत्क तौर पर तूल पकड़ता नजर आ रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि सरकार ने इस मामले को बहुत गंभीरता से लिया है और इस पर एसटीआई बैठा दी है, जो स्वागत योग्य है। उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने ये किया है, अपराध की पुष्टि होने पर उन पर कठोर कार्रवाई होनी चाहिए। लेकिन वे यह कहने से नहीं चूके कि यह घोटाला उनके समय में नहीं हुआ। ध्यान रहे कि तीरथ सिंह रावत सांसद हैं और त्रिवेंद्र रावत से विधायकों की नाराजगी के चलते उन्हें हटा कर तीरथ रावत को मुख्यमंत्री बनाया गया था। तीरथ रावत को मुख्यमंत्री बने रहने के लिए अभी विधायक का चुनाव लड़ना होगा।
कुंभ मेले में कोरोना टेस्ट में गड़बड़ी की खबर मिलने पर आईसीएमआर ने हरिद्वार के जिलाधिकारी को मामले की छानबीन करने को कहा। जिलाधिकारी ने इसके लिए अधिकारियों की एक कमेटी बनाई। उसके बाद इस मामले की गंभीरता सामने आई।
कुंभ मेले में सरकार की ओर से ज्यादा से ज्यादा कोरोना रैपिड एंटीजेन और आरटी पीसीआर टेस्ट कराए गए। इसके लिए जिला स्वास्थ्य विभाग ने नौ और कुंभ स्वास्थ्य विभाग ने ग्यारह निजी लैबों के साथ अनुबंध किया। अब हरियाणा की जिस निजी फर्म पर आरोप लग रहे हैं, वह उससे कुंभ मेला स्वास्थ्य विभाग ने अनुबंध किया था।
मेला अवधि के दौरान 20 से 40 हजार तक कोरोना टेस्ट रोजाना किए गए। घोटाला करने वाली फर्म पर आरोप है कि उसने सरकार से ज्यादा भुगतान पाने के लिए सैंपलिंग की संख्या ज्यादा दिखाई। इसके लिए फर्जी आधार कार्डों पर नेगेटिव रिपोर्ट दी गई।
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