न्यूज़गेट प्रैस नेटवर्क
विनीत दीक्षित
दो साल के अंतराल के बाद इस पहली जनवरी को एलएसी यानी लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल के दस अलग-अलग स्थानों पर भारत और चीन की सेनाओं के बीच एक बार फिर मिठाई के डब्बों के साथ ‘नया साल मुबारक हो’ का आदान-प्रदान हुआ तो लगा कि शायद नए साल में हालात कुछ ठीक रहेंगे। पर दूसरे ही दिन चीन ने अपनी गलत नीयत का इजहार कर इन उम्मीदों पर पानी फेर दिया।
अपने प्रचार माध्यमों के जरिये उसने ऐलान किया कि अब उसका क्षेत्र ‘हाँगकाँग शासित प्रदेश से लेकर गलवान घाटी तक है और इन सब जागहों पर उसका लाल झंडा फहरा रहा है।‘ यह घोषणा चीनी सरकार के अखबार ‘ग्लोबल टाइम्स’ की वेबसाइट पर की गई और दुनिया को गुमराह करने के लिए उसने ट्विटर पर एक शरारतपूर्ण वीडियो भी पोस्ट कर दिया।
इतना ही नहीं, चीन ने 2017 के बाद एक बार फिर अरुणाचल प्रदेश के कई स्थानों के नाम बदल डाले हैं। इस बार उसने अरुणाचल के जिन स्थानों के नाम बदले हैं उनकी संख्या पंद्रह है। इसके साथ ही उसने अपनी सेना यानी पीपल्स लिबरेशन आर्मी के हैकरों की ड्यूटी लगा दी कि भारत के अरुणाचल प्रदेश को बदनाम करने में कोई कसर न छोड़ी जाए।
वर्ष 2017 में भी चीन ने यही शरारत की थी। वह भी उस दौरान जब दलाई लामा अरुणाचल प्रदेश में तवांग के दौरे पर गए थे। दलाई लामा के लिए तवांग बहुत अहमियत रखता है क्योंकि 1959 में जब चीन ने तिब्बत पर कब्जा किया था तब उन्होंने तवांग के रास्ते ही बचते-बचाते हुए भारत में प्रवेश किया था। तवांग तभी से चीन को खटकता रहता है। 1962 में जब चीन ने भारत पर घात लगा कर हमला किया, तब भी तवांग उसके बड़े निशानों में से एक था।
पिछले एक साल से कुछ ज्यादा समय से चीन ने एलएसी पर अतिक्रमण संबंधी कई तरह की हरकतें की हैं। दोनों देशों की सेनाएं जबकि आमने-सामने की स्थिति में हैं, ऐसे में चीन की संसद यानी पीपल्स कांग्रेस की स्थायी समिति ने एक नया कानून पारित कर दिया। इसके जरिये चीन ने इस पहली जनवरी से अपनी सेना को एलएसी पर अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए पूरी छूट दे दी है। यह जानते हुए भी कि एलएसी कोई स्थाय़ी और मान्य अंतरराष्ट्रीय सीमा नहीं है और भारत को एलएसी के कई स्थानों पर चीनी सेना की उपस्थिति पर ऐतराज है। बल्कि इस मामले में कई चरणों की बातचीत हो चुकी है, जो कि अभी चल ही रही है।
बहरहाल, अपने इसी मकसद से चीन ने, जैसा कि ‘ग्लोबल टाइम्स’ ने लिखा है कि, तिब्बत में 628 गांव बनाए हैं जिनमें असल में तिब्बती चरवाहों को लाकर बसाया जा रहा है जिन्हें भारत के खिलाफ मोर्चाबंदी में चीनी सेना जब चाहे इस्तेमाल कर सकेगी।
इसी तरह चीन ने एक और खतरनाक तैयारी की है। वह पैंगोंग झील पर पुल बनने जा रहा है। सैटेलाइट से मिली ताजा तस्वीरों से पता चला है की पैंगोंग झील के अपनी तरफ वाले हिस्से पर वह पुल बना रहा है जहां यह झील सबसे ज्यादा संकरी है। इसके बनने पर उसकी सेना को पैंगोंग झील के उस पार जाने के लिए घुमावदार रास्तों पर पूरा चक्कर नहीं लगाना पड़ेगा। कुल मिला कर चीन ने एलएसी पर भारतीय सेना का काम बढ़ा दिया है।(आभार – समय की चर्चा, 07 जनवरी 2022)
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