न्यूज़गेट प्रैस नेटवर्क

भीमा कोरेगांव केस में मुंबई की तलोजा जेल में बंद 84 बरस के सामाजिक और मानवाधिकार कार्यकर्ता फादर स्टैन स्वामी का इस सोमवार अस्पताल में निधन हो गया। अपने तेजी से बिगड़ते स्वास्थ्य का हवाला देकर वे लंबे समय से जमानत की मांग कर रहे थे। लेकिन इस केस की जांच कर रही एनआईए उनकी जमानत का विरोध कर रही थी।

उनकी जमानत पर सोमवार को भी बॉम्बे हाईकोर्ट में सुनवाई थी, लेकिन उनके वकील ने अदालत उनके निधन की जानकारी दी। रविवार को तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया और फिर उन्हें बचाया नहीं जा सका। एनआईए ने आरोप लगाए थे कि स्टैन स्वामी के नक्सलियों से संबंध हैं और वे प्रतिबंधित माओवादी संगठन के संपर्क में हैं। उन्हें 8 अक्टूबर को यूएपीए यानी अनलॉफुल एक्टिविटीज प्रिवेंशन एक्ट के तहत गिरफ्तार किया गया था। तभी से वे जेल में थे और उनकी तबीयत बिगड़ती जा रही थी।
उन्होंने जेल में खराब स्वास्थ्य सुविधाओं की शिकायत की थी। 28 मई को हाईकोर्ट आदेश पर उन्हें होली फैमिली अस्पताल ले जाया गया। पिछले शनिवार भी उनके वकील ने अदालत को बताया था कि उनकी तबीयत लगातार बिगड़ती जा रही है। इससे पहले मई में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से सुनवाई में स्टैन स्वामी ने जेल की खराब स्वास्थ्य सुविधाओं के कारण अपनी मौत की आशंका जताते हुए अंतरिम बेल की अपील की थी। मगर एनआईए ने इसका विरोध करते हुए कहा कि उनकी तबीयत खराब होने का कोई पुख्ता प्रमाण नहीं है। उसने कहा कि वो एक माओवादी हैं और उन्होंने देश में अस्थिरता लाने के लिए साजिश रची है।

31 दिसंबर 2017 को पुणे के नजदीक भीमा कोरेगांव में हुई हिंसा के मामले में उन्हें अन्य कई लोगों के साथ गिरफ्तार किया गया था। एनआईए का कहना था कि इस हिंसा से पहले एलगार परिषद की सभा हुई थी। इस दौरान स्टैन स्वामी ने भड़काऊ भाषण दिया था जिससे हिंसा भड़की। स्‍टेन स्‍वामी सुनने की क्षमता पूरी तरह खो चुके थे। वे पार्किंसन बीमारी से भी जूझ रहे थे। उन्‍हें स्‍पांडलाइटिस की भी समस्‍या थी और वे कोरोना के भी शिकार हुए थे।

आदिवासी अधिकारों के लिए लड़ने वाले स्टैन स्वामी ने करीब पांच दशक तक झारखंड में काम किया था। खास कर विस्थापन और जमीन अधिग्रहण जैसे मुद्दों को लेकर। उनका दावा था कि नक्सलियों के नाम पर तीन हजार लोगों को जेल भेजा गया। यह मामला अदालत में अभी भी लंबित है। उनके निधन पर रोष जताते हुए दस विपक्षी नेताओं ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिख कर आग्रह किया कि वे इस मामले में दखल दें और सरकार को निर्देश दें कि फादर स्टैन स्वामी के खिलाफ फर्जी मामले गढ़ने, उन्हें जेल में रखने और उनके साथ अमानवीय व्यवहार के जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई हो। पत्र पर दस्तखत करने वाले नेता हैं सोनिया गांधी, शरद पवार, ममता बनर्जी, एमके स्टालिन, एचडी देवेगौड़ा, हेमंत सोरेन, फारूक अब्दुल्ला, तेजस्वी यादव, डी राजा और सीताराम येचुरी।