न्यूज़गेट प्रैस नेटवर्क 

नीति आयोग की तरफ से जारी इनोवेशन इंडेक्स में केंद्र शासित प्रदेशों में दिल्ली सबसे आगे रहा है। इसी तरह राज्यों में इस मामले में कर्नाटक शीर्ष पर आया। दिल्ली के सबसे आगे रहने की वजह यहां से आए ट्रेडमार्क और पेटेंट के सबसे ज्यादा आवेदनों को माना गया है।

कर्नाटक के बाद महाराष्ट्र राज्यों वाले इंडेक्स में दूसरे नंबर पर आया। पिछली बार इस स्थान पर तमिलनाडु था। बिहार इस सूची में सबसे पीछे रहा। उत्तर-पूर्व और पहाड़ी राज्यों की अलग श्रेणी थी जिसमें हिमाचल प्रदेश सबसे ऊपर रहा। इनोवेशन इंडेक्स रिपोर्ट के मुताबिक इनोवेशन हब के तौर पर दक्षिण भारत ने अपनी स्थिति मजबूत बनाई है। इस इंडेक्स के टॉप 5 राज्यों में 4 यहीं के हैं।

तीनों श्रेणियों का सूचकांक अलग-अलग जारी किया गया है, लेकिन इसके स्कोर के मामले में दिल्ली सभी से आगे रहा। दिल्ली का स्कोर 46.6 अंक रहा जबकि 42.5 अंकों के साथ कर्नाटक दूसरे नंबर पर था। बड़े राज्यों का औसत स्कोर 100 में से 25.35 अंक और केंद्र शासित प्रदेशों का 26.01 अंक रहा है। उत्तर-पूर्व और पहाड़ी राज्यों का औसत स्कोर तो और भी कम 17.89 अंक रहा। इसमें से हिमाचल प्रदेश ने 25 अंक बटोरे। साफ है कि इस श्रेणी में कितना क्षेत्रीय असंतुलन है।

राज्यों के कम इनोवेशन स्कोर से पता चलता है कि वहां रिसर्च और डेवलपमेंट पर कम खर्च हो रहा है। इस मामले में भारत की स्थिति जेनेवा के वर्ल्ड इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी ऑर्गनाइजेशन के आंकड़ों से भी पता चलती है। उसके मुताबिक, हुआवे, मित्सुबिशी, सैमसंग और क्वॉलकॉम के 2019 में दाखिल किए इंटरनेशनल पेटेंट आवेदन भारत की तरफ से दाखिल आवेदनों से ज्यादा थे।

नीति आयोग इस इंडेक्स को इंस्टीट्यूट फॉर कॉम्पिटिटिवनेस के सहयोग से तैयार करता है। इसमें पाँच सूचक रखे गए हैं जो इनोवेशन के लायक स्थिति दर्शाते हैं। दो अन्य सूचक इनोवेशन के नतीजों पर नजर रखते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक राज्यों में कर्नाटक के शीर्ष पर रहने की वजह ज्यादा वेंचर कैपिटल डील, आईसीटी यानी इफॉर्मेशन और कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी का निर्यात और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश हैं।

जहां तक दिल्ली की बात है तो उसके आगे रहने की वजह यहां से ट्रेडमार्क और पेटेंट के सबसे ज्यादा आवेदन हैं। पिछले वित्तीय साल में बड़ी संख्या में नए स्टार्टअप शुरू होने से नॉलेज आउटपुट इंडिकेटर में दिल्ली ने बड़ी छलांग लगाई। इसके बेहतर प्रदर्शन के कारणों में अनुकूल कारोबारी माहौल खास कर इंटरनेट की बेहतर पहुंच भी है।

रिपोर्ट में इनोवेशन स्कोर का राज्यों की जीडीपी से गहरा रिश्ता देखा गया। जिन राज्यों की आर्थिक वृद्धि ज्यादा है वहां इनोवेशन भी ज्यादा हुआ। रिपोर्ट कहती है कि कंपनियों को रिसर्च व डेवलपमेंट ग्रांट देने पर सरकार को विचार करना चाहिए। अमेरिका और इजराइल ऐसा बड़े पैमाने पर करते हैं। भारी उद्यम व लोक उद्यम मंत्रालय की तरफ से जुलाई 2019 में बताया गया था कि भारत में रिसर्च व डेवलपमेंट पर होने वाला खर्च हमारी जीडीपी के लगभग 0.6-0.7 फीसदी पर स्थिर रहा है, जबकि इजराइल में यह 4.95 प्रतिशत, साउथ कोरिया में 4.81 प्रतिशत, स्वीडन में 3.33 प्रतिशत, जापान में 3.26 प्रतिशत और ऑस्ट्रिया में 3.17 प्रतिशत था।