न्यूज़गेट प्रैस नेटवर्क
वरिष्ठ भाजपा नेता और मध्यप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती राज्य में शराबबंदी की मुहिम छेड़े हुए हैं। कुछ दिन पहले उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि राजस्व के लालच और शराब माफिया के दबाव में सरकार शराबबंदी नहीं करती। इसके बाद पिछले शनिवार को मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि शराबबंदी से प्रदेश नशामुक्त नहीं होगा। पीने वाले रहेंगे तो दारू आती रहेगी।
कटनी में दिया मुख्यमंत्री का यह बयान उनकी तरफ से शराबबंदी पर उमा भारती को जवाब की तरह देखा जा रहा है। उन्होंने कहा कि हम मध्यप्रदेश को नशामुक्त प्रदेश बनाने के प्रयास कर रहे हैं। मगर यह सिर्फ शराबबंदी से नहीं होगा। पीने वाले रहेंगे तो दारू आती रहेगी। लोग यहां-वहां से शराब लेकर आते रहेंगे। हम नशामुक्ति अभियान चलाएंगे, जिससे लोग शराब पीना ही छोड़ दें। इससे पहले रतलाम में भी शिवराज शराब छोड़ने की अपील कर चुके हैं।
उनका बयान उमा भारती को जवाब हो या नहीं, पर दोनों नेताओं की यह बयानबाजी इन दिनों चर्चा में है। हाल ही में उमा भारती ने टीकमगढ़ जिले में अपने गांव डूंडा की शराब दुकान को बंद कराने से शराबबंदी की मुहिम शुरू की। उन्होंने सोशल मीडिया में भी लिखा कि ‘थोड़े से राजस्व का लालच और माफिया का दबाव शराबबंदी नहीं होने देता। देखा जाए तो सरकारी व्यवस्था ही लोगों को शराब पिलाने का प्रबंध करती है। जैसे मां जिसकी जिम्मेदारी अपने बालक का पोषण करते हुए उसकी रक्षा करने की होती है, वही मां अपने बच्चे को जहर पिलाए। सरकारी तंत्र द्वारा शराब की दुकानें खोलना ऐसा ही है।’
अपना नशा मुक्ति अभियान शुरू करने से पहले उमा भारती ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को एक पत्र भी लिखा। इसमें उन्होंने कहा कि शराबखोरी से गरीबों की जिंदगी तबाह हो रही है। उन्होंने यह भी लिखा कि कोई गलतफहमी ना हो, इसलिए पत्र को सार्वजनिक कर रही हूं। ‘मैं जानती हूं इसकी चिंता आपको भी है। मध्यप्रदेश एक शांतिपूर्ण संस्कार शील राज्य है, यहां सामाजिक जागरण की दिशा में प्रयास हों, इस सोच के साथ 8 मार्च को एक विमर्श होगा। इस संबंध में आपसे भी हम विचार करते रहेंगे।‘
भाजपा के ही कुछ लोगों का मानना है कि उमा भारती शराबबंदी को लेकर गंभीर हैं जबकि शिवराज सरकार के सामने समस्या यह है कि शराबबंदी की दशा में शराब से मिलने वाला राजस्व कहां से आएगा। कटनी के उनके बयान से माना जा रहा है कि आर्थिक संकट से जूझ रही मध्यप्रदेश सरकार अगले वित्त वर्ष की आबकारी नीति में इस राजस्व को घटाने की पहल नहीं करने वाली। उलटे राज्य सरकार अपनी आय बढ़ाने के लिए शराब दुकानों की संख्या बढ़ाने की सोच रही है।
कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह भाजपा नेताओं की इस बयानबाज़ी पर चुटकी लेते हैं। उन्होंने कहा कि उमा भारती कहती हैं, शराबबंदी होगी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह कहते हैं कि शराब की नई दुकानें नहीं खोलेंगे। वहीं गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा कहते हैं कि शराब की और दुकानें खोलेंगे। आखिर हम किसकी बात को सही मानें।
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