न्यूज़गेट प्रैस नेटवर्क

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपनी सत्ता के शुरूआती वर्षों में राज्य में सड़कों की दशा सुधारने का और इस बात का बीड़ा उठाया था कि लड़कियां ज्यादा से ज्यादा संख्या में स्कूल जाएं। इस अभियान के तहत उनकी तत्कालीन सरकार ने स्कूली लड़कियों को मुफ्त साइकिल बांटने का काम किया था। नीतीश के इन कामों को राज्य के लोग आज भी याद करते हैं।

राज्य के अगले वित्त वर्ष के बजट में नीतीश सरकार का महिला सशक्तीकरण का अभियान फिर परिलक्षित हो रहा है। इस सोमवार विधानसभा में पेश किए गए बजट में महिलाओं को रोजगार में 35 प्रतिशत आरक्षण का लाभ प्रशासन में निचले स्तर तक पहुंचाने का प्रयास करने की बात कही गई है। बजट के मुताबिक अपना उद्योग स्थापित करने के लिए सरकार महिलाओं को अनुदान व पूंजी उपलब्ध करायेगी जिस पर कोई ब्याज नहीं लगेगा।

राज्य के उपमुख्यमंत्री और वित्तमंत्री तार किशोर प्रसाद ने 2 लाख 18 हज़ार 303 करोड़ रुपये का बजट पेश किया। उन्होंने बजट में युवाओं, बेरोजगारों, महिलाओं और किसानों के अलावा शहरी और ग्रामीण विकास की विभिन्न योजनाओं के लिये भी राशि देने का भरोसा दिया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार महिला उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए विशेष योजना लाएगी। इसमें महिलाओं द्वारा लगाए जा रहे उद्यमों में कुल परियोजना लागत का 50 प्रतिशत (अधिकतम पांच लाख रुपये) अनुदान और अधिकतम पांच लाख रुपये कर्ज दिया जाएगा जिस पर कोई ब्याज नहीं लगेगा। इसके लिए 200 करोड़ रुपये खर्च का प्रावधान किया गया है।

हाई स्कूल के बाद उच्च शिक्षा के प्रति महिलाओं को प्रेरित करने के मकसद से भी उन्हें राशि देने की योजना है। इस योजना के तहत इंटरमीडिएट पास करने पर अविवाहित महिलाओं को 25 हजार और स्नातक होने पर 50 हजार रुपए की आर्थिक मदद दी जाएगी। इस काम के लिए शिक्षा विभाग के बजट में 600 करोड़ रुपये का प्रावधान है।

राज्य सरकार ने महिलाओं को सरकारी नौकरियों में 35 फीसदी आरक्षण दिया है, लेकिन अब भी सरकारी दफ्तरों में महिलाओं की संख्या अपेक्षाकृत कम है। इसलिए क्षेत्रीय प्रशासन जैसे पुलिस थाना, प्रखंड, अनुमंडल व जिला स्तरीय कार्यालयों में आरक्षण के हिसाब से महिलाओं की भागीदारी बढ़ायी जाएगी। साथ ही
राज्य सरकार प्रधानमंत्री मातृ वंदन योजना के तहत 17.84 लाख गर्भवती महिलाओं को पांच हजार रुपये का भुगतान तीन किस्तों में किया जा रहा है।