वाहन चलाते समय सभी के लिए मास्क लगाना अनिवार्य है। इस साल अप्रैल में ही मास्क लगाना अनिवार्य कर दिया गया था और यह आदेश अभी भी लागू है। पिछले हफ्ते दिल्ली सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट को यह जानकारी दी।
जस्टिस नवीन चावला की पीठ के समक्ष एक याचिका पर सुनवाई के दिल्ली सरकार की ओर से दाखिल एक हलफनामे में यह कहा गया है। यह याचिका एक वकील सौरभ शर्मा ने दायर की थी। याचिका के जरिये उन्होंने अपनी कार चलाते समय अकेले होने के कारण मास्क न पहनने पर 500 रुपये का चालान किए जाने को चुनौती दी थी। याचिका के हिसाब से याचिकाकर्ता अपने काम पर जा रहा था और दिल्ली पुलिस के अधिकारियों ने उसे रोक लिया। कार में अकेले होने के बावजूद मास्क न लगाने पर उसका चालान कर दिया गया।
याचिकाकर्ता के वकील जॉबी पी वर्गीज ने अदालत को बताया कि डीडीएमए यानी दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के चार अप्रैल के कार्यालय आदेश के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने अपनी प्रेस कान्फ्रेंस में कहा था कि कार में ड्राइव करने वाले व्यक्ति के अकेले होने पर उसके लिए मास्क लगाना अनिवार्य नहीं है।
इस दलील पर अदालत ने 17 सितंबर को इस बारे में नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से पेश वकील ने अदालत में सही स्थिति पेश करने के लिए दो सप्ताह का वक्त मांगा। अदालत ने मंत्रालय को इसके लिए वक्त देते हुए सात जनवरी को अगली सुनवाई तय की है। आदित्य कौशिक व दीपक अग्रवाल की तरफ से दाखिल ऐसी ही दो अन्य याचिकाओं पर भी सात जनवरी को ही सुनवाई होगी।
याचिकाकर्ता सौरभ शर्मा का कहना था कि चालान जारी करने वाले अधिकारी निजी कार में अकेले यात्रा के दौरान भी मास्क लगाने की अनिवार्यता के बारे में कोई लिखित आदेश नहीं दिखा सके। उन्होंने चालान पर इस संबंध में लिखने की उनकी गुजारिश भी नहीं मानी और याचिकाकर्ता ने विरोध के साथ ‘अवैध’ जुर्माना अदा किया। सौरभ के वकील का कहना था कि किसी कानून या अधिसूचना के बगैर निजी वाहन में अकेले जाते वक्त मास्क को अनिवार्य बताते हुए जुर्माना कर दिया गया जो कि अवैध और मनमाना है। याचिकाकर्ता ने चालान को खारिज करने, जुर्माने में वसूली गई 500 रुपये की राशि वापस कराने और मानसिक उत्पीड़न के बदले दस लाख रुपये का मुआवजा दिलाने की मांग की है।
दूसरी तरफ डीडीएमए ने अपने जवाब में कहा कि अप्रैल के उसके कार्यालय आदेश और इस साल जून की एक अधिसूचना के बाद सार्वजनिक स्थानों पर मास्क पहनना अनिवार्य कर दिया गया था। उसने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि निजी वाहन भी एक सार्वजनिक स्थान है।
Comments are closed for this post.