न्यूज़गेट प्रैस नेटवर्क
कोरोना वैक्सीन का विवाद थमता नहीं दिख रहा। एक तरफ केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि उसने सभी राज्यों का उनकी 18-44 आयु वर्ग की आबादी के हिसाब से वैक्सीन का कोटा तय कर दिया है। इसके अनुसार मई में केवल दो करोड़ डोज ही राज्य सरकारें खरीद पाएंगी। दूसरी तरफ राज्य अभी भी वाक्सीन की किल्लत का आरोप लगा रहे हैं।
इस कमी से जिन राज्यों को परेशानी हो रही है उनमें दिल्ली भी शामिल है। दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने बुधवार को एक बार फिर केंद्र पर वैक्सीन की सप्लाई में बाधा डालने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि किस राज्य को कितनी वैक्सीन दी जाएगी यह अब भी केंद्र सरकार ही तय कर रही है जबकि कोवैक्सीन की सप्लाई नहीं होने से दिल्ली में कई टीका केंद्र बंद करने पड़े हैं।
सिसोदिया ने आगे कहा कि हमारे पास कोवैक्सीन का स्टॉक पूरी तरह खत्म हो चुका है। इसकी वजह से हमें 17 स्कूलों में कोवैक्सीन के 100 से ज्यादा सेंटर बंद करने पड़े हैं। उन्होंने कहा कि भारत बायोटेक ने कल हमें चिट्ठी लिख कर साफ कह दिया है कि वे और वैक्सीन नहीं दे सकते क्योंकि उन्हें केंद्र के निर्देश पर वैक्सीन देनी है। हमने उनसे 67 लाख डोज मांगी थीं।
इधर केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को जानकारी दी कि इस महीने वैक्सीन की 8.5 करोड़ डोज का उत्पादन होने की उम्मीद है और राज्यों के लिए इनका कोटा तय किया जा चुका है। यह वह कोटा है जिसे राज्य सीधे वैक्सीन निर्माताओं से खरीदेंगे। वे इतन ह वाक्सीन खरीद सकेंगे। सरकार के मुताबिक कोटे से यह सुनिश्चित हो सकेगा कि वैक्सीन का समान रूप से वितरण हो।
असल में, पहली मई से 18 साल से अधिक उम्र वाले सभी लोगों का टीकाकरण किया जा रहा है। देश में 18 से 44 वर्ष आयु वर्ग के लगभग 59.5 करोड़ लोग हैं और कई राज्यों ने वैक्सीन की कमी की शिकायत की है। सरकार ने वैक्सीन निर्माताओं के लिए कुछ शर्तें तय की हैं। इन कंपनियों को वैक्सीन स्टॉक की 50 प्रतिशत आपूर्ति केंद्र सरकार को करनी है। इसके बाद वे निजी खरीदारों और राज्य सरकारों को वैक्सीन बेच सकती हैं। इस बीच केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा है कि राज्य केंद्र की ओर से दिए जा रहे टीकों का 70 फीसदी दूसरे डोज के लिए और 30 प्रतिशत पहले डोज के लिए रख सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि जिन लोगों ने पहला डोज ले लिया है, उन्हें दूसरे डोज के लिए प्राथमिकता पर रखा जाना चाहिए।
बहरहाल, दिल्ली के उपमुख्यमंत्री ने कहा कि दिल्ली के सभी लोगों को वैक्सीन लगाने के लिए हमने 1.34 करोड़ डोज मांगी थीं। 67 लाख कोविशील्ड से मांगी थी और इतनी ही कोवैक्सीन की मांगी थी। मगर कोवैक्सीन ने हमें चिट्ठी लिखी है कि हम वैक्सीन नहीं दे सकते। सिसोदिया के मुताबिक कंपनी ने उनसे कहा कि वे उन्हें उससे ज्यादा नहीं दे सकते, जितनी सरकारी अधिकारी यानी केंद्र सरकार कह रही है। कंपनी ने साफ कहा है कि वे केंद्र सरकार के हिसाब से वैक्सीन दे रहे हैं। चिट्ठी में ये भी लिखा है कि हम दिल्ली सरकार को और वैक्सीन दे ही नहीं सकते क्योंकि अधिकारियों की तरफ से निर्देश नहीं है।
सिसोदिया का कहना था कि इस चिट्ठी से साफ है कि केंद्र ही तय कर रही है कि किस राज्य को कितनी वैक्सीन मिलेगी। जब केंद्र सरकार तय कर रही है तो उसे ये देखना चाहिए कि अगर वह साढ़े छह करोड़ वैक्सीन एक्सपोर्ट नहीं करती तो दिल्ली और मुंबई के एक-एक आदमी को वैक्सीन की दोनों डोज लग जातीं। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि मैं केंद्र से आग्रह करूंगा कि वह एक राष्ट्र की सरकार की भूमिका निभाए। यह ठीक नहीं है कि राज्य अंतरराष्ट्रीय मार्केट में जाकर टेंडर निकालें। आप नहीं करेंगे तो ये काम भी राज्य करेंगे। लेकिन केंद्र की भूमिका अहम है। एक्सपोर्ट बंद करें और वैक्सीन कंपनियों से फॉर्मूला लेकर अन्य कंपनियों को भी वैक्सीन बनाने की छूट दें, ताकि वैक्सीन का निर्माण बड़ी संख्या में हो।
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