डिजिटल भुगतान कंपनी पेटीएम में चीनी निवेश का मामला भी संसदीय समिति में उठा। बताया जाता है कि पेटीएम के प्रबंधन के लोग जब समिति के समक्ष हाजिर हुए तो उन्हे सख्त सवालों का सामना करना पड़ा। समिति के सदस्यों ने उनसे यह भी कहा कि जिस सर्वर पर ग्राहकों का डेटा जमा होता है वह भारत में होना चाहिए।

  यह संसद की संयुक्त समिति है जिसकी अध्यक्ष भाजपा की मीनाक्षी लेखी हैं। बताया जाता है कि समिति के सदस्यों ने पेटीएम के शीर्ष अधिकारियों से पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल को लेकर सवाल पूछे। पेटीएम ने प्रस्तावित कानूनों जैसे मैनेजमेंट और विदेशों में सेंसिटिव पर्सनल डेटा से संबंधित प्रमुख मुद्दों पर अपना सुझाव भी दाखिल किए। पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल की समीक्षा के लिए गठित इस समिति में अलग अलग राजनीतिक दलों के लोग शामिल हैं। उन्होंने जानना चाहा कि पेटीएम भारतीय फर्म है, फिर वह ग्राहकों का डेटा विदेश में कैसे स्टोर करती है। अगर ऐसा कोई सर्वर है तो उसे भारत में होना चाहिए। साथ ही सदस्यों ने पेटीएम में निवेश के बारे में भी पूछताछ की।

  समिति के सदस्यों ने पेटीएम से यह भी सवाल किया कि क्या कोई हितों का टकराव भी हो रहा है, क्योंकि पेटीएम खुद अपना प्रोडक्ट अपने ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर बेचता है। पेटीएम ने कहा कि पर्सनल डेटा और संवेदनशील डेटा विदेशों में इसलिए भेजा जाता है क्योंकि जब इस तरह के ट्रांसफर के लिए डेटा प्रिंसिपल की स्पष्ट सहमति दी जाती है तो प्रोसेसिंग के लिहाज से इसे भेजा जाता है। पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन बिल को लोकसभा में 11 दिसंबर 2019 को लाया गया था। इस बिल में व्यक्तिगत लोगों के पर्सनल डाटा को प्रोटेक्ट करने और डाटा प्रोटेक्शन अथॉरिटी बनाने का प्रावधान था।

  इससे पहले फेसबुक, ट्विटर और अमेजन के अधिकारी भी इस समिति के सामने पेश हो चुके हैं। टेलीकॉम कंपनियों जैसे रिलायंस जियो, एयरेटल और कैब कंपनियां ओला और उबर से भी कहा गया है कि वे पैनल के सामने पेश हों।

  समिति ने गूगल से भी विज्ञापन और कंटेंट के बारे में उसकी निष्पक्षता पर सवाल पूछे। समिति ने पूछा कि विकल्पों को नियंत्रित कर क्या गूगल यूजरों के बुनियादी अधिकारों का हनन नहीं कर रहा। समिति के सामने गूगल के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित हुए थे। इनमें गूगल के भारतीय कारोबार की डायरेक्टर और लीगल हेड गीतांजलि दुग्गल, गवर्नमेंट अफेयर्स एंड पब्लिक पॉलिसी प्रमुख अमन जैन और पब्लिक पॉलिसी एंड गवर्नमेंट रिलेशन के मैनेजर राहुल जैन पेश हुए।

  मीनाक्षी लेखी ने गूगल के साथ हुई बैठक के बाद कहा कि वे खुद प्लेटफॉर्म, सेलर और न्यूज एजेंसी हैं। गूगल के ही पास यह कंट्रोल करने का बटन है कि कौन सी सूचना पहले आएगी, कौन सी बाद में आएगी, कौन सी न्यूज फ्लैश करेगी और किस न्यूज को दबा दिया जाएगा। ऐसे में वह एक निष्पक्ष प्लेटफॉर्म कैसे हो सकता है?

  यह समिति पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल 2019 की समीक्षा कर रही है। यह विधेयक इलेकट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने 11 दिसंबर 2019 को लोकसभा में पेश किया था। विधेयक में लोगों के निजी डेटा की सुरक्षा के लिए एक डेटा प्रोटेक्शन अथॉरिटी बनाने का भी प्रावधान है। बाद में विधेयक को संसद के दोनों सदनों की इस संयुक्त समिति के पास भेज दिया गया।